रविवार, 14 अप्रैल 2019

राज नज़र आते हैं

दिल के आयने में राज नज़र आते है,
जब जब देखता हूँ आयना,
स्वयं के किरदारों में,
उलझते फंलसा नज़र आते है।।
जिंदगी के राग में उलझी सी जिंदगी,
सुरों के सरताज में मुग्धं,
अनकहे से किस्सो में ,
क्यों अपना ही किस्सा नज़र आता हैं।।
दिल के आयने में राज नज़र आते हैं....
चढ़ते ढ़लते सूरज के मनुहार वेला में,
कश्मकश सी अपनी हस्ती,
क्यों शादिशों के शिकार में,
क्यो अपना ही प्रतिबिम्भ नजर आता हैं।।
दिल के आयने में राज नज़र आते हैं...
सागर की मोझे उफनते सैलाब में,
भंवर की निर्दयता में,
फँसी अपनी  कस्ती सी,
क्यों निर्दयता का शिकार  नजर आता हैं।।
दिल के आयने में राज नज़र आते हैं....
प्रकृति के रहस्यों के संसार में,
मंनमुग्ध पुष्पों का जाल हो,
रहस्यमय बूटियों की माया हों,
क्यों रहस्यमय प्रतिबिम्भ नजर आता हैं।।
दिल के आयने में राज नजर आतें हैं...
जब जब देखता हूँ आयना,
स्वयं के किरदारों में,
उलझतें फंलसा नजर आतें हैं।।






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